शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

'अमिताभ की संघर्ष-कथा'


युगांक वीर द्वारा लिखी इस किताब को पढ़ा....बहुत दिनों से सदी के महानायक-'अमिताभ जी' के बारे में पढ़ने का मन था।तभी किताबों की बीच छुप्पी इस किताब पर नजर गयी,जिसे काफ़ी दिन पहले खरीदा था। बिग बी के बारे में और ज्यादा जानने की ललक से बड़े अरमानों के साथ किताब पढ़ना शुरू किया।जैसे-जैसे किताब की पन्ने पलटे गई ,मानो सारे अरमानों पर जैसे पानी फिरता सा महसूस हुआ। किताब का कवर यूँ तो पूरी तरह अमिताभ जी को समर्पित है,जिसे देख कर लगता है कि किताब में अमिताभ जी से जुड़ी जानकारियां होंगी। जानकारियों को लेखक ने कहानी की तरह बताने की कोशिश की है और बीच-बीच में कविता की कुछ पंक्तियों के माध्यम से जया और अमिताभ जी के प्रेम-प्रसंग को प्रस्तुत किया। लेकिन इन खूबियों के बावजूद लेखक प्रारंभ से लेकर अंत तक भ्रमित लगे,कि आखिरकार वे जानकारी किसके बारे में देना चाहते है समझ ही न आया। किताब के पहले पेज पर ये अंकित किया गया था कि किताब डा.हरिवंशराय बच्चन,ख्वाजा अहमद अब्बास और हृषिकेश मुकर्जी को समर्पित।अमिताभ जी के जीवन में इनकी भूमिका की जगह उनकी उपलब्धियों के बखान पर ध्यान ज्यादा केन्द्रित किया गया।इसके साथ ही, पूरी किताब के ज्यादातर पेज अमिताभ के समकालीन उभरते फ़िल्मी सितारों और निर्देशकों की फिल्मों की कहानी पर समर्पित थे। अमिताभ जी के बारे छुट-पुट जानकारी पाठक किताब में चुने बिना नहीं पा सकता।
अंत में,इस तरह की किताब लिखने वाले समाज के महान लेखकों और इन्हें प्रकाशित करने वाले प्रकाशन केन्द्रों से ये अनुरोध है कि कृपा करके किताब का कवर और नाम का चयन किताब के विषय के अनुसार करें। जिससे पाठक को हवाई बातों की अपेक्षा विषय की सही जानकारी मिले और वे आसानी से अपनी रूचि के अनुसार किताबे प्राप्त कर सके।

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