शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

कई बार, ऐसा होता है.....

कई बार, ऐसा होता है.........!!!!!!

कई बार,
ऐसा होता है.....
कि किसी शख्स से हम ये उम्मीद कर बैठते है.....
कि वो बिना कहे हमारी अनकही बातों को समझ लें.....
लफ्जों से परे हमारे जज़्बात समझ लें....

यूँ तो ये उम्मीद बड़ी ख्याली.....
या यूँ कहें नासमझ-सी लगती है।
लेकिन अब क्या किया जाए.....

कमबख्त ये उम्मीद अक्सर जिन्दगी के कई मोड़ पर यूँ ही आ टिकती है।
जब हमारी नजरें उस शख्स की तलाश करने लगती है.....
जो है ही नहीं......
या जो कभी था ही नहीं.....!!!!!!!!

स्वाती सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें