मई की तपती दोपहरी में, जब एक दिन नन्हा बुकर कोयले की खान में काम कर रहा था, तभी उसने दो लोगों को बात करते हुए सुना। वे लोग हैम्पटन के किसी स्कूल के बारे में बातें कर रहे थे, जो अश्वेत लोगों के लिए बनाया गया स्कूल था । उस समय अश्वेत लोगों का स्कूल बनना असम्भव सी बात थी। लेकिन ये खबर सुनते ही नन्हें बुकर के चेहरे पर मुस्कान आ गई और मानो उसके सपनों को उड़ान भरने के लिए पर मिल गए हो। नन्हें बुकर ने आव देखा न ताव सीधे हैम्पटन जाने का निर्णय किया। नन्हें बुकर के इस इरादे को देखकर उसके माता-पिता को ख़ुशी हुई। इसके साथ ही विरासत में मिली दासता के कारण असहाय माँ-बाप बेटे की मदद न कर पाने के कारण दुःखी थे।
आखिर सन् 1872 में, बुकर ने अकेले वहां जाने का फैसला किया। बुकर के नन्हें कदम और खाली जेब एक लम्बे सफर को तय करने के लिए एक बड़ी चुनौती थे। इन सबके बावजूद, बुकर पूरे आत्मविश्वास के साथ निकल पड़ा। उसकी गर्वीली चाल ऐसी लग रही थी जैसे पराजय उसके जीवन के शब्दकोश में ही न हो।
ढेर सारी कठिनाइयों को पार कर जब नन्हा बुकर थका हुआ वहां पहुंचा, तो उसका मुरझाया चेहरा और गन्दे कपड़े अध्यापिका को प्रभावित नहीं कर पाए । लेकिन बुकर ने अपना धैर्य और साहस नहीं छोड़ा । वे अवसर की प्रतीक्षा करने लगे । थोड़ी देर बाद अध्यापिका ने उनसे संगीत कक्ष की सफाई करने को कहा । इस आदेश को बुकर ने एक बड़े अवसर के रूप में स्वीकार किया और बिना किसी शिकायत के कमरे में सफाई में लग गए । बुकर के लिए अवसर अपने जीवन को बदलने के बन्द किवाड़ की कुंजी की तरह लगा। नतीजन पूरी निष्ठा के साथ बुकर के नन्हे हाथ कमरे की सफाई में लग गए। जब अध्यापिका ने निरीक्षण किया तो उन्हें कमरे में धूल का एक भी कण नहीं मिला । उनकी कार्यनिष्ठा से वे बेहद प्रसन्न हुई और उन्हें प्रवेश की स्वीकृति दी ।
इस स्वीकृति ने कोयले की खान में काम करने वाले एक बंधुआ अश्वेत बच्चे की जिन्दगी ऐसी बदली कि उनका नाम इतिहास के निर्माता के रूप में स्वर्णिम अक्षरों में उभरा । बुकर.टी वाशिंगटन विश्व इतिहास में दर्ज़ एक ऐसा नाम है जिन्होंने न केवल एक इतिहास रचा, बल्कि लोगों के जीवन से लेकर जेहन तक की दासता से मुक्ति भी दिलवायी ।
बुकर का जन्म सन् 1850 में, वर्जिनिया के एक गरीब-नीग्रो-बंधुआँ परिवार में हुआ । जन्म से मिली ये दासता बुकर को कभी मंजूर नहीं थी, इसलिए उन्होंने इसे खत्म करने के लिए शिक्षा का मार्ग चुना और निकल पड़े पांच सौ मील की दूरी पर पैदल हैम्पटन की ओर अपनी किस्मत आजमाने । सन् 1881 में हैम्पटन में 'तुसकेगी नार्मल एंड इंडस्ट्रियल इंस्टिट्यूट' की स्थापना हुई, जो नीग्रो लोगों के लिए बनाया गया पहला विश्वविद्यालय था । बुकर ने जीवन की तमाम कठिनाइयों का बहादुरी से सामना किया और अपनी मेहनत और लगन से अपने जीवन में सफलता का मुकाम पाया।
बुकर ने सन् 1896 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री ली और सन् 1901 में उन्हें दार्थमोअर्ट कॉलेज की ओर से 'डॉक्टरेट' की उपाधि से सम्मानित किया गया । सन् 1901 में बुकर ने 'अप फ्रॉम स्लेवरी', नामक आत्मकथा लिखी, जिसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति थिओडोर रूज़वेल्ट ने व्हाइट हाउस में सम्मानित किया । बुकर पहले अश्वेत नागरिक बने, जिन्हें ये सम्मान प्राप्त हुआ । इसके साथ-ही-साथ बुकर राष्ट्रपति के सलाहकार भी नियुक्त किए गए । सन् 1915 में बुकर को तुसकेगी इंस्टिट्यूट का निदेशक भी नियुक्त किया गया और सन् 1940 में प्रसिद्ध अमेरिकन सिरिज में उनके नाम का यूएस पोस्टेज स्टाम्प भी जारी करके उन्हें सम्मानित किया गया ।
बुकर.टी.वाशिंगटन ने मजबूत इरादों की जमीन से उपजी उस पहल से ना केवल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा, बल्कि बरसों से दासता की जंजीर में जकड़े समाज को भी आज़ादी दिलवायी । बराक ओबामा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने, जिनकी पृष्ठभूमि अगर बनी तो इसे बुकर के संघर्ष का परिणाम कहा जा सकता है।यूँ तो बुकर , सन् 1915 में इस दुनिया से रुख्सत हो गए, लेकिन आज भी शिक्षा जगत में उनके योगदान को याद किया जाता है। एक महान व्यक्तित्व के रूप में बुकर को मिसाल माना जाता है।
बुकर के जीवन-संघर्ष की कहानी हर युवा के लिए एक प्रेरणास्रोत है । नन्ही-सी उम्र में परिस्थिति के विरुद्ध उनका दृढ कदम और पांच सौ मील का सफर बिना कुछ खाए-पिए पैदल करना । इतना ही नहीं, इन सबके बाद विद्यालय में प्रवेश परीक्षा में सफाई का काम करना । इतनी धीरता और कर्मठता ही मामूली इंसान को एक ऐसा महान व्यक्तित्व बनाती है, जिनकी संघर्ष कथा न केवल प्रेरणा देती है बल्कि उनका आत्मविश्वास और अनवरत संघर्ष पूरी दुनिया को गौरवान्वित करता है।
स्वाती सिंह
VERY NICE PERSON
जवाब देंहटाएंMy struggle for an education my faoret
जवाब देंहटाएंLesson
My struggle for an Cricket
Aap great ho
जवाब देंहटाएंAti sundar thanks
जवाब देंहटाएंतू खुद की खोज में निकल,,,,
जवाब देंहटाएंतू किस लिए हताश है !!!
तू चल तेरे वजूद को,,,,,
समय को भी तलाश है !!!
तू खुद की खोज में निकल ,,,,
जवाब देंहटाएंतू किस लिए हताश है ,,!!!
तू चल तेरे वजूद को ,,,
समय को भी तलाश है !!!!!
Bahut sahi hai kahani
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